EVERYTHING ABOUT SHIV CHAISA

Everything about Shiv chaisa

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दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?

अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

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दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।

अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु Shiv chaisa हमारी॥

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

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